Sunday, January 30, 2022

अभिभावकों व अध्यापकों की गुहार: हमारे बच्चों का भविष्य बचा लो सरकार

राकेश शर्मा (समाचार हिमाचल) 30 जनवरी 2022
कोरोना संक्रमण के चलते स्कूल पिछले काफी समय से बंद पड़े हैं। हालाँकि दिसंबर महीने में स्कूल खुले लेकिन एक महीने बाद उन्हें फिर से बंद कर दिया गया। और ऐसे में बच्चों के अभिभावकों और अध्यापकों का मानना है कि इस सब के चलते बच्चों का भविष्य चौपट होने के कगार पर पहुँच गया है। 
अभी 31 जनवरी को होने वाली कैबिनेट मीटिंग में स्कूलों को खोलने के लिए सरकार नई अधिसूचना जारी करेगी। उसी के संदर्भ में बहुत से अभिभावक व स्कूल अध्यापक स्कूल खोलने के पक्ष में हैं और सभी चाहते हैं कि वार्षिक परीक्षा से पहले सभी बच्चों को कम से कम एक महीना तो स्कूल आकर पढ़ने का अवसर मिले। अभिभावक व अध्यापक सरकार और शिक्षा विभाग को प्रार्थना कर रहे हैं कि स्कूल खोल कर हमारे बच्चों का भविष्य बचा लो। अभिभावकों और अध्यापकों का मानना है कि कोरोना संक्रमण के चलते ऑनलाइन कक्षाएं तो चलती रहीं परंतु उसमें गुणात्मक शिक्षा का अभाव रहा।
अभिभावक अजय ठाकुर ने कहा कि बच्चे पूरा -पूरा दिन ऑनलाइन कक्षाओं के चक्कर में फोन के साथ लगे रहते हैं और पूरा पूरा दिन घर से बाहर नहीं निकलते हैं। बच्चों का मन पढ़ाई से हट रहा है और उनकी आंखों में दिक्कत आना शुरू हो गई है ।
अभिभावक सुनीता देवी ने बताया कि घर में रहकर बच्चे चिड़चिडे से हो गए हैं। वह सही तरीके से न पढ़ ही रहे हैं ना ही उनको फोन पर पढ़ना आता है और ना ही वह अच्छे ढंग से सीख पा रहे हैं । सरकार जल्द से जल्द स्कूल खोलने के लिए आदेश जारी करें ताकि हमारे बच्चों का भविष्य सुधर सके।
अध्यापक राजेश कुमार ने बताया कि ऑनलाइन कक्षा मात्र बच्चों को पढ़ाई से जोड़ने का एक तरीका है। परंतु सही शिक्षा व पढ़ाई बच्चा सिर्फ और सिर्फ स्कूल में आकर ही सीख सकता है। बहुत से बच्चे जब स्कूल में पढ़ाई में बहुत अच्छे थे लेकिन स्कूल बंद होने के बाद वही बच्चे शून्य की तरफ जा रहे हैं। सरकार से निवेदन है कि सरकार जल्द से जल्द 31 जनवरी को होने वाली मीटिंग में नर्सरी से 12वीं तक के स्कूल सभी बच्चों के लिए खोल दें ताकि बच्चे स्कूल आकर अपने आप को सुधार सकें।
निजी स्कूल के अध्यापक निर्मल ठाकुर का कहना है कि बहुत से बच्चे फोन की खराबी का या नेटवर्क का बहाना बनाकर पढ़ाई से दूर हो रहे हैं और मोबाइल गेम या फिर चैटिंग के आदी होते जा रहे हैं। नतीजा यह निकल कर सामने आ रहा है कि सभी बच्चे पढ़ाई के साथ साथ मानसिक रूप से भी पिछड़ चुके हैं सरकार जल्द से जल्द स्कूलों को खोले ताकि बच्चे स्कूल आकर अच्छी तरह से पढ़ सकें।
जिला कांगड़ा निजी स्कूल संगठन उपाध्यक्ष सुशवीन पठानिया ने बताया कि 2 महीने पहले जब नर्सरी से लेकर दसवीं तक के सभी स्कूलों को खोला गया था तो स्कूल में सभी बच्चों को 100 प्रतिशत हाज़िरी से अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल में भेजा था। 2 महीने स्कूल आने पर किसी भी प्रकार का कोई पॉजिटिव केस स्कूल में नहीं आया बावजूद इसके सरकार ने स्कूल बंद कर दिए। अब शिक्षा विभाग ने तीसरी, पांचवी व आठवीं कक्षा का भी नवमी और दसवीं कक्षा की तरह ही बोर्ड कर दिया है। जिनकी परीक्षा मार्च महीने में आयोजित होनी है। इन सभी बच्चों को किस प्रकार से अध्यापक लोग परीक्षा के लिए तैयार करेंगे जबकि वह बच्चे पिछले 2 साल से स्कूल में ही नहीं आए। इन 2 सालों से कोरोना ने एक मानसिक रूप से कमजोर और असमझदार पीढ़ी को तैयार करके रख दिया है ।
उन्होंने सरकार से प्रार्थना की कि नर्सरी से बारहवीं तक के सभी स्कूलों को सरकार 31 जनवरी की कैबिनेट मीटिंग में खोलने का निर्णय लें और भविष्य में अगर कभी किसी स्कूल में कोरोना पॉजिटिव केस आ जाते हैं तो उसे 48 घंटे के लिए बंद करके उसको सही तरीके से सैनिटाइज करके दोबारा से खोला जाए। जिससे कि बच्चों की पढ़ाई भी बाधित नहीं होगी और बच्चे वार्षिक परीक्षा के लिए भी अपने आप को तैयार कर लेंगे । इसके अलावा ऑनलाइन कक्षाओं का भी संचालन होता रहेगा और अगर कोई अभिभावक अपने बच्चे को स्कूल नहीं देना चाहता है तो उसको ऑफ़लाइन शिक्षा के साथ -2 ऑनलाइन शिक्षा का भी विकल्प खुला रहेगा ।

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