राकेश शर्मा(समाचार हिमाचल) 12 दिसंबर 2021
प्रेस वार्ता के दौरान सुदर्शन शर्मा ने कहा कि धर्मशाला में चल रहे पांच दिबसीय शीतकालीन सत्र के दौरान प्रतिपक्ष नेता ब कांग्रेस के तेज तर्रार विधायक द्वारा सत्ता पक्ष को बहुत ही चतुराई से घेरने से फोरलेन प्रभावितों के फैक्टर टू की आस की किरण की उम्मीद जगने से प्रदेश के करीब एक लाख परिवार असमंजस की स्थिति से गुजर रहे है।सरकार द्वारा दिया जा रहा भू अधिग्रहण मुआवजा एक पक्षीय है जिसमे,विल्लिंग सैलर, विल्लिंग बायेर, की परिभाषा को नज़रंदाज़ किया गया है। जिसके मुख्य बिंदु इस प्रकार है।
1. भू अधिग्रहण अधिकारी नूरपुर द्वारा अर्जित भूमि के दौरान सरकार द्वारा निश्चित मापदंडों को पूर्णतया नजरंदाज करके मात्र भूमि खरीदने वाले का ही पक्ष देखा गया जबकि भूमि मालिकों के हकों का पूर्णतया शोषण किया गया है। जिसका ज्वलंत उदाहरण नूरपुर में देखने को मिला।
2. भू अधिग्रहण कानून 2013 को हिमाचल सरकार द्वारा लागू नहीं करना जबकि पड़ोसी राज्य पंजाब ब अन्य कई राज्यों में भू अधिग्रहण कानून राज्यो ने लागू किया।स्पष्टीकरण दे सरकार।
3. इतिहास में भू अधिग्रहण मुआवजा को एक ही उद्देश्य हेतु एक ही मुहाल के एक ही खसरा संख्या को तीन तीन अवार्ड बना कर पिक एंड चूज की नीति को आधार बनाया गया ऐसा क्यों?स्पष्टीकरण दे सरकार।
4. राष्ट्रीय उच्च मार्ग परियोजना के निर्माण कार्य के प्रथम चरण में मुख्य व्यापारिक संस्थान जसूर, जाच्छ, बोड , के मात्र तीन किलोमीटर के दायरे के जद में आ रहे परिवार असमंजस में है कि अति विशेष क्षेत्र जिसका सरकार के रेहनुमाओ ने राजस्व किस्म को कमर्शियल की बजाए कृषि घोषित करके प्रभावितों के साथ जबरन बहुत बड़ा धोखा किया है। जबकि क्षेत्र के तमाम व्यापारियों ने तीन वर्ष का अर्जित जीएसटी का लेखा जोखा सरकार को पांच अरब का दिया है। जिसका आधिकारिक तौर पर रिकॉर्ड भी सरकार को दिया। लेकिन नूरपुर प्रशासन ने विसंगतियों को दूर करने का प्रयास नहीं किया।जबकि सरकार द्वारा जाच्छ,छत्रोली,राजा का बाग प्रति मारला मात्र 32000 रुपए दिया जा रहा है जोकि भद्दा मजाक है। जिसका सरकार स्पष्टीकरण दे।
5. नूरपुर प्रशासन के तत्कालीन भू अधिग्रहण अधिकारी द्वारा मूल्यांकन निर्धारित में हद तो तब हो गई जब प्रथम चरण के नूरपुर विधानसभा क्षेत्र के कलेरा मुहाल में भू अधिग्रहण मूल्यांकन निर्धारण में बहुत बड़ी चूक कर दी गई। जिसका तरोताजा उदाहरण आरटीआई के दौरान देखने को मिला,, 31मार्च 2019 को कलेरा मुहाल का सर्किल रेट प्रति वर्ग मीटर आधिकारिक मूल्य मात्र पच्चपन रुपए था और 01 अप्रैल 2019 को प्रति वर्ग मीटर 4000 रुपए हो जाता है। एक ही रात में ऐसी कोन सी रजिस्ट्री कलेरा में हो जाती हैं। जिस कारण भू अधिग्रहण अधिकारी द्वारा मूल्य निर्धारण करना उचित समझा।
6. मूल्य निर्धारण में लोहा और सोने का मूल्य एक बराबर आंका गया। जबकि बंजर जमीन का 14000 रुपए प्रति वर्ग मीटर रेट निर्धारित किया गया जोकि अभी तक भी कम है। लेकिन राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर मात्र 4000 प्रति वर्ग मीटर निर्धारित किया गया जोकि पीड़ितों के साथ सरासर धोखा है। सरकार को अतिशीघ्र समाधान हेतु नव गठित उपसमिति को निर्देश दिए जाए और प्रदेश में नूरपुर से फोरलेन संघर्ष समिति के पदाधिकारियों को भी विश्वास में लेकर उचित कार्यवाही अमल में लाई जाए।
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